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Saturday, April 6, 2024

बांके बिहारी मंदिर में इतनी अव्यवस्था क्यों ??

बांके बिहारी मंदिर वृंदावन मैं लगभग ३ बार गया लेकिन एक बार भी हिम्मत नहीं हुई उस आव्यस्थित प्रांगण में पत्नी बच्चो के साथ अंदर जा सकूं। एक बार तो पत्निश्री भीड़ में दबते दबते बचीं भगवान कृष्ण जी के आशीर्वाद के कारण। बाहर से हीं प्रणाम किया दर्शन न कर पाने की माफी मांगी और लौट आएं। भीड़ उतनी नहीं जितनी तिरुपति में या कहीं ऐसे ही मंदिरों में है लेकिन ये अव्यवस्था जान बूझ कर बना के रक्खी गई है। लाइन में एक दूसरे से चिपक के धक्का देते और सहते हुए चलाना एक दूसरे को मन मन में गाली देते चलाना जैसे व्यवस्था का अंग बन गया है। पोलिस वाले भी बेचारे लोगो ऐसे ठूंस ठूंस के अंदर धकेलते है जैसे भेड़ बकरियों को कंटेनर में भरते है २की जगह २०. 
व्यवस्था बहुत आसानी से ठीक को जा सकती है अगर कोई चाहे तो लेकिन कुछ लोग चाहते है की चीजें ऐसी ही अव्यवस्थित रहे और लोग ऐसे ही मरते रहे। इतने भक्त आते है वहां हर रोज क्या उनको एक सुचारू ढंग चलते हुए धार्मिक स्थल और एक सुकून से भरे प्रभु के दर्शन का भी अधिकार नहीं। हिंदू इतना धन दान करते है क्या उस धन का इस्तेमाल वहां चीजों को सुगम बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए? कौन है जो हिंदू धर्म स्थलों को दुर्गम गंदगी से भरा और अव्यवस्थित ही देखना चाहता है ? आखिर जो पैसा हिंदू दान करता है वो किसका पेट भर रहा है??

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